गीता सार दंसवा अध्याय “विभूतियोग”
गीत के दंसवे अध्याय का नाम विभूतियोग है। इस अध्याय में कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, जो
पुरूष वास्तव में मेरे को अजन्मा और अनादि मानता है तथा लोकों का महान ईश्वर तत्व
से जानता है, वह मनुष्य वास्तव में ज्ञानी है और वो सभी पापों से मुक्त हो जाता
है। इस संसार में जितने भी भाव हैं वो सभी भाव मेरे से ही है इसलिए सभी को तू मेरे
से ही जन्मा मान। इस संसार की सभी श्रेष्ट वस्तुओं को तू मैं ही जान। इस संसार में
जितनी विभूतियुक्त अर्थात ऐश्वर्ययुक्त, कांन्तियुक्त और शाक्तियुक्त वस्तु है उन
सभी को मेरे तेज से उत्पन्न जान। कृष्ण अर्जुन से कहते है तुझे सिर्फ मुझे जानना
चाहिए संसार की जितनी भी वस्तुएं है सब मुझ से ही उत्पन्न होती है इसलिए उन्हें
जानने से तुझे कोई लाभ नहीं, तू मुझको ही तत्व से जान क्योंकि सभी चीजें मुझ से ही
उत्पन्न होती है और मुझ में ही समाहित होती हैं।
Janshruti & Team | nisha nik''ख्याति''
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