किशोरों में हस्तमैथुन एक बङी मानसिक समस्या | Mental Illness of Hand Masturbation in Youth
आज ज्यादातर किशोरों में हस्तमैथुन एक बङी मानसिक समस्या बन रहा है। किशोर अवस्था के शुरूआती दौर में किशोरों को हस्तमैथुन आत्मिक सुख तो प्रदान करता है, परन्तु उसके उपरान्त होने वाली आत्मगलानि उन्हें एक मानसिक प्रताङना से गुजरने के लिए मजबूर करता है।
जानिए क्यों होता है ऐसा ?
जब बचपन से किशोर अवस्था में आते है, उसके उपरान्त शरीर में कई बदलाव होते है। ये बदलाव मानसिक, शरीरिक और रासयनिक होते है। इन हो रहे नये बदलावों के कारण शुरूआत में बच्चे काफी असहज हो जाते है और अपने अंदर हो रहे बदलावों के बारे में जानना चाहते है, परन्तु उनके समाने समस्या ये आती है कि वो इस बारे में बात करे तो किस से । उनके दिमाग में एक बङी उलझन घर करने लगती है जो उन्हें अपने सवालों को तलाशते- तलाशते असलीलता की उस दुनिया की तरप ले जाती है ,जहाँ उन्हें सबसे पहले ये समझ आता है कि हस्तमैथुन ही एक सरल सामाधन है खुद की उत्तेजनाओं को शांत करने का।
सच पूछिये तो ज्यादातर बच्चों को शुरूआत में ऐसा करते समय नहीं पता होता कि वो क्या कर रहें है और क्यों कर रहें है, बस उन्हें इतना समझ आता है कि ऐसा करने से उन्हें शरीरिक रूप से अच्छा लगता है, परन्तु जब उन्हें आत्मगलानि का ऐहसास होता है तो वो खुद को मानसिक रूप से प्रताङित पाते है। लगातर ऐसा चलते रहना उन्हें मानसिक रूप से विकार बनाता है। जिसके दुष्परिणम देखने को मिलता है, जैसे ;
(1) उनका अत्याधिक क्रोधित रहना(2) सामुदायिक रूप से अलग-थलग रहना
(3) किसी काम को सही से ना करना
(4) उदास रहना और अशांत चित्त रखना
कैसे करे इन परेशानियों का निवारण
सबसे पहले हमें बढते बच्चों को उनमें हो रहे बदलावों की जानकारी और सही ज्ञान देना चाहिए।
हमारे देश की शिक्षा पद्धति को ये समझने की आवश्कता है, सही यौन ज्ञान ही इस समस्या का एक बेहतर उपाये है।
माता- पिता को अपने बच्चों में हो रहे बदलाव के विषय में जगरूक करना चाहिए और पूर्ण कोशिश करना चाहिए की आप उन्हें इस बारे में पूरी जानकारी दें, अगर आप ऐसा करने में सक्षम नहीं है तो अपने बच्चों को किसी काॅन्सलर के द्वारा पूर्ण जानकारी दिलवायें।
क्या करें अगर आप नियमित रूप से हस्तमैथुन करने से ग्रसित है?
अगर हस्तमैथुन करना आपकी आदत बन चूकी है और आप इसे छोङना चाहते है परन्तु छोङ नहीं पा रहें तो आपको कुछ समान्य से उपाय करने चाहिए, जो आपकी मदत कर सकता है।
(1) रात के समय कभी पूर्ण अंधेरे कमरे ना सोये, अंधकार हमारे अंदर के विकारों को उजागर करता है, जिस कारण आप चाहते हुऐ भी खुद का मनोंबल दृढ नहीं रख पाते, यही कारण है कि आप सोते वक्त हल्कि मध्म रोशनी में सोये।
(2) सोने से पहले आप उन पुस्तकों को पढ कर सोये जिनसे आपको अच्छे विचार और ज्ञान प्राप्त होते है, इससे सोते वक्त आपके मस्तिष्क में उन्हीं विचारों को दोहराया जायेगा।
अगर दिन के समय भी आप खुद को रोक नहीं पाते तो आप निम्नलिखित उपाये कर सकते हैं;
(1) अगर आप अकेले बैठे है और आपके मन में ऐसे विचार आ रहें है आप खुद को रोक नहीं पा रहें है तो आपको उस जगहा से खङे होकर लोगों के बीच में या भीङ कि जगहा पर चले जाना चाहिए।
(2) अगर आप स्थान से कहीं जा नहीं सकते तो आपको कुछ समय संगीत सुनना चाहिए या किसी अच्छे विषय का चुनाव कर उसे पढना चाहिए।
आज के समय में आपको ये तो नहीं कह सकते की आप स्मार्ट फोन का उपयोग ना करें, अगर ऐसी सलाह आपको मिले तो सम्भवता ही आप इस पर अमल करें, परन्तु आपको कोशिश करना चाहिए की आप अपने स्मार्ट फोन का उपयोग समूह में करें और अगर आप अकेले में भी कर रहें है तो अंधेरे में बेड पर बैठ कर या सो कर ना करें।
Janshruti & Team | nisha nik''ख्याति''
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